कुछ अल्फाज मेरे अपने

जुदाई 

चंद रोज़ का यहाँ सबका बसेरा,
चाहे गहरा कितना हो मरासिम मेरा या तेरा,
दरख्तों को भी पता होता है,
वर्क़ को भी ख़िज़ाँ में,
होना जुदा होता है !!

मरासिम  - Relation
दरख्तों - Trees
वर्क़- Leaf
ख़िज़ाँ- Fall

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